सोमवार, 30 जून 2014

छोड़ आया हूँ कुछ नगमें ..



(फोटो गूगल से साभार)



छोड़ आया हूँ कुछ नगमे 
साहिलों पर तेरे नाम से 
शाम छुपा कर रख दिया है 
वही रेत की ढेर में 
कुछ पत्थर उगा आया हूँ 
वहाँ आस पास 
बस जो सावन आ जाए  
झूम लेंगे तब सभी 
अभी तो शांत सोए हैं 
सब अलसाई नींद में 
 
कश्ती पड़ी वही 
थकी सी हार कर  
सूरज से मिल लौटा था
दरिया को पार कर 
उम्मीद डूबी नहीं 
इक सूरज के डूबने से 
लो कारवां चल पड़ा फिर  
इक चाँद के उगने से 



शनिवार, 21 जून 2014

लम्हा लम्हा जिंदगी का कतरा कतरा जाता है

(फोटो गूगल से साभार)



लम्हा लम्हा जिंदगी का कतरा कतरा जाता है 
अपनी बर्बादी पे कोई गीत ख़ुशी के गाता है 

गरीब की गरीबी मजाक नहीं है कोई  
आँखों में आँसू लिए कोई राम कथा सुनाता है  

टूटे फूलों से कब किसी ने पूछा हाल उसका  
डाल डाल खामोश खड़ा कुछ नहीं कर पाता है  

बड़ा ही मुश्किल है सूरज और चाँद बनना 
तारों की भीड़ में इक तारा कहीं खो जाता है

कैसा दौर जश्न का का आज चल पड़ा है 
रौशनी की महफ़िल में अँधेरा झूमता आता है  



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