सोमवार, 28 जुलाई 2014

पर वो गरीब आज भी गरीब है

(फोटो गूगल से साभार)



दिख जाते हैं 
अक्सर कई फ़कीर 
गंदे मैले कुचैले से 
कपड़े पहने 
राहों पर 
कोई गरीब कचड़ा बीनता 
कोई मासूम भीख मांगता 
गाड़ियों में 

गरीबी जैसे शाप बनकर 
मिला हो 
उनको जीवन में 
और साथ ही मिल जाते हैं कई 
बुद्धिजीवी लेखक 
अपनी किसी नई रचना का 
विषय ढूंढते उनमे 
और रच जाते हैं कभी कभी 
अद्वितीय रचना 
मिल जाता है कोई 
चित्रकार चित्र उकेरते 
गरीबी की 
कोई फोटो लेने वाला 
फोटो लेते उनकी विवशता का 
और जीत जाते हैं पुरस्कार 
ले जाते हैं इनाम कई 
उगा लेते हैं धन लाखों में 

पर वो गरीब 
आज भी गरीब है  
उनकी तस्वीर हर रोज 
ले रहा होता है कोई 
रचनाएँ हर रोज 
रची जाती है कहीं 
पर गरीबों का क्या 
वो अभी भी लगे हैं 
दो वक्त की रोटी 
जुगाड़ने में  
जूझते खुद अकेले 
अपनी नियति को 
संभालने में 






16 टिप्‍पणियां:

  1. हाँ...सबके खेलने का यही सबसे अच्छा खिलौना है.

    जवाब देंहटाएं
  2. पर वो गरीब
    आज भी गरीब है
    उनकी तस्वीर हर रोज
    ले रहा होता है कोई
    एक सच जिसे बिल्‍कुल सटीक शब्‍द दिये हैं आपने ... बहुत ही बढिया प्रस्‍तुति... आभार

    जवाब देंहटाएं
  3. कोमल भावो की और मर्मस्पर्शी.. अभिवयक्ति .....

    जवाब देंहटाएं
  4. ये आज का कडुवा सच है ...
    प्रचार का ज़माना है ... बेचो और आगे निकलो ...

    जवाब देंहटाएं
  5. उनकी तस्वीर हर रोज
    ले रहा होता है कोई
    रचनाएँ हर रोज
    रची जाती है कहीं
    पर गरीबों का क्या
    वो अभी भी लगे हैं
    दो वक्त की रोटी
    जुगाड़ने में

    हकीकत।

    जवाब देंहटाएं
  6. शिवनाथ जी आपकी रचना खाली पड़ा कैनवास को कविता मंच पर साँझा किया गया है


    http://kavita-manch.blogspot.in/2014/08/blog-post_21.html

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. धन्यवाद संजय जी मेरी रचना को स्थान देने के लिए :)
      आभार !

      हटाएं
  7. आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" गुरुवार, आज 22 अक्तूबर 2015 को में शामिल किया गया है।
    http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप सादर आमत्रित है ......धन्यवाद !

    जवाब देंहटाएं
  8. दहशत है फैली हर शहर मोहल्ले मोहल्ले
    नफरत भरी गलियां देखो इन हुक्मरानों की
    .
    भाव चवन्नी के बिकती मजबूर काया यहाँ
    बेगेरत मरती आत्मा देखो सियासतदानों की
    .
    तिल तिल मरते कर्ज में डूबे अन्नदाता यहाँ
    सुखा है दूर तलक देखो हालत किसानों की
    .
    धर्म की बड़ी दीवार खड़ी है चारों और यहाँ
    जानवर निशब्द है औकात नहीं इन्सानों की
    ................................................................MJ
    .

    जवाब देंहटाएं

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